सारस न्यूज़, पोठिया, किशनगंज।
प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत अर्राबाड़ी स्थित मात्स्यिकी महाविद्यालय में 18 और 19 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में बिहार सरकार की पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री श्रीमती रेनू देवी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगी। सेमिनार में देशभर के प्रतिष्ठित मत्स्य वैज्ञानिक, गणमान्य अतिथि, और विभिन्न मात्स्यिकी महाविद्यालयों के छात्र शामिल होंगे।
यह राष्ट्रीय सेमिनार माननीय कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह के नेतृत्व में, महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. वी. पी. सैनी और डॉ. चंद्रहास के निर्देशन में आयोजित किया जा रहा है। आयोजन का संयोजन महाविद्यालय के जलीय पर्यावरण प्रबंधन विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री तापस पाल कर रहे हैं। आयोजन सचिव श्री आशुतोष, सह-सचिव श्रीमती मधु कुमारी, और सह संयोजक डॉ. अभिषेक ठाकुर इस आयोजन को सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
सेमिनार का विषय और उद्देश्य
इस वर्ष सेमिनार का विषय “उन्नत पर्यावरण प्रबंधन द्वारा टिकाऊ मत्स्य पालन एवं पशुधन उत्पादन” रखा गया है। इसके तहत पांच प्रमुख उप-विषयों पर चर्चा की जाएगी:
- पर्यावरण-अनुकूल टिकाऊ मत्स्य एवं पशुधन उत्पादन
- मत्स्य पालन और पशु चिकित्सा विज्ञान में पर्यावरणीय जैव-प्रौद्योगिकी की भूमिका
- पारिस्थितिकी-तंत्र धन के लिए एक स्वास्थ्य
- जैव-विविधता संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार
- मत्स्य पालन और पशुधन प्रणाली में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
विशेष आयोजन और पुरस्कार
इस सेमिनार में आईडियाथोन-2024 और महिला वैज्ञानिक भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। साथ ही देशभर से वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, और छात्रों के लिए विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
- डॉ. वी. जी. झिंगरन पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ भारतीय वैज्ञानिक)
- डॉ. पी. वी. देहाद्राई पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ युवा वैज्ञानिक)
- डॉ. वी. आर. पी. सिन्हा पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ मास्टर थीसिस)
- प्रो. एच. पी. सी. शेट्टी गोल्ड मेडल (सर्वश्रेष्ठ नवाचार)
महाविद्यालय की उपलब्धियां
बिहार राज्य के इस एकमात्र राजकीय मात्स्यिकी महाविद्यालय ने पूर्व में भी राष्ट्रीय स्तर के कॉन्फ्रेंस आयोजित किए हैं, जिनकी प्रशंसा देशभर के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों द्वारा की गई है। महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. वी. पी. सैनी के प्रयासों को विशेष रूप से सराहा गया है। यह दो दिवसीय सेमिनार न केवल वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए एक मंच प्रदान करेगा, बल्कि टिकाऊ मत्स्य पालन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नई दिशाओं का सुझाव भी देगा।