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जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की हुई प्रसव पूर्व जांच।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

  • शत-प्रतिशत प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करने से मातृ-शिशु मृत्यु दर को किया जाएगा नियंत्रित
  • गर्भधारण के तीसरे महीने से नौवें महीने तक चार प्रसव पूर्व जांच मां और नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक
  • आवश्यक जांच और संस्थागत प्रसव से मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित किया जाएगा

गर्भवती महिलाओं और होने वाले बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में बुधवार को गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गई। अभियान के तहत अस्पताल में उपलब्ध सभी गर्भवती महिलाओं की आवश्यक जांच करते हुए संबंधित महिलाओं को उपचार सुविधा उपलब्ध कराई गई। इस अभियान का उद्देश्य मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करना और मां तथा बच्चे को सुरक्षित रखना है। इसके तहत प्रसव पूर्व जांच के लिए अस्पताल में उपस्थित गर्भवती महिलाओं का चिकित्सकों द्वारा ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, यूरिन टेस्ट, वजन, गर्भ में बच्चे की बढ़त आदि की जांच की गई और गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक दवाइयां दी गईं, जिसका उपस्थित लाभार्थियों ने लाभ उठाया।

शत-प्रतिशत प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करने का निर्देश

जिला पदाधिकारी विशाल राज ने कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिए जिला एवं प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं, जिससे कि मां और नवजात शिशु सुरक्षित रह सकें और मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सके।

प्रसव पूर्व जांच मां और नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मां और शिशु की मृत्यु को रोकने और उन्हें समय पर उचित इलाज मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर महीने की 9 और 21 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) चलाया जाता है। कोई भी गर्भवती महिला निकटतम सरकारी अस्पताल में अपना पंजीयन कराकर गर्भावस्था के दौरान तीसरे महीने से नौवें महीने तक चार प्रसव पूर्व जांच करवा सकती हैं। इसके लिए सभी अस्पतालों में सभी जरूरी जांच और दवाइयां मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं।

उच्च जोखिम गर्भधारण पर विशेष ध्यान

सिविल सर्जन डॉ. सिंह ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान की जाती है और उन्हें अतिरिक्त देखभाल के लिए विशेष प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित की जाती है, ताकि प्रसव के दौरान किसी जटिलता का सामना न करना पड़े और मां व शिशु दोनों स्वस्थ रहें।

आवश्यक जांच और संस्थागत प्रसव से मातृ मृत्यु दर नियंत्रित किया जाएगा: डीपीएम

गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान चार प्रसव पूर्व जांच जटिलताओं को कम करती हैं। इन जांचों के अभाव में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती, जिससे प्रसव के दौरान जटिलताएं बढ़ने की संभावना रहती है। गर्भावस्था में मधुमेह, एचआईवी पॉजिटिव, कम उम्र में गर्भधारण, अत्यधिक वजन का कम या अधिक होना, पूर्व में सिजेरियन प्रसव, अन्य जटिल रोगों से पीड़ित होना और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं उच्च जोखिम वाली गर्भधारण का कारण होती हैं। प्रसव पूर्व जांच और संस्थागत प्रसव से मां और शिशु की मृत्यु दर को नियंत्रित रखा जा सकता है, जिससे दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।

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