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अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा (एआईईईए) पीजी में मात्स्यिकी महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने लहराया परचम।

सारस न्यूज, किशनगंज।

किशनगंज स्थित बिहार राज्य के एकमात्र मात्स्यिकी महाविद्यालय, अर्राबाड़ी के छात्रों ने सोमवार को घोषित परिणाम में अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा (एआईईईए) पीजी 2024 परीक्षा में मत्स्य विज्ञान अंतिम वर्ष के कुल 25 छात्रों में से रिकॉर्ड 20 विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त कर सीमांचल का एक बार फिर से गौरव बढ़ाया है। ज्ञात हो कि किशनगंज जिले का यह कॉलेज अर्राबारी में डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय के परिसर में महानंदा नदी के तट पर स्थित है एवं बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 29 अगस्त 2018 को औपचारिक रूप से इस कॉलेज के पहले शैक्षणिक सत्र का उद्घाटन और शुरुआत की घोषणा की थी। तब से लगातार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह, वर्त्तमान कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. वी पी सैनी के कुशल नेतृत्व में अपने प्रदर्शन से लगातार अपनी पहचान बनाता रहा है। विदित हो कि मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत इसके घटक महाविद्यालयों में से एक के रूप में शामिल किया गया था। अपने स्थापना के बाद से ही इस महाविद्यालय के छात्र वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 में आयोजित अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा (एआईईईए) पीजी में क्रमशः कुल 08 और 17 छात्रों ने सफलता अर्जित कि थी जबकि वर्ष 2024 में आयोजित इस प्रवेश परीक्षा में कुल 25 छात्रों में से 20 छात्रों ने सफलता अर्जित कर इस क्षेत्र का मान बढ़ाया है।

ज्ञात हो कि संस्थान के कुल 11 छात्रों क्रमशः अविनाश आनंद, प्रगति पुष्प, विकास कुमार, अंकित भूषण, कोपल करिश्मा, अनीषा, वर्षा कुमारी, स्नेहाशिखा, गोविन्द कुमार सिंह, स्वीटी कुमारी, श्रेयशी तान्या, शिप्रा सिंह, रोहित कुमार, मनीष कुमार, अमित कुमार, प्रिया कुमारी, गौतम कुमार, स्वीटी कुमारी, आयुष कुमार एवं अमृत साधना को जहाँ टॉप 100 में स्थान मिला है वहीं महाविद्यालय के अन्य 3 छात्र क्रमशः अविनाश आनंद (एयर- 4), प्रगति पुष्प और विकास कुमार ने टॉप 10 में जगह बनाकर ना केवल एक रिकॉर्ड बनाया है बल्कि इस नवोदित महाविद्यालय को देश के स्थापित मात्स्यिकी महाविद्यालयों के समकक्ष खड़ा कर दिया है। अपने इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए ना सिर्फ यहाँ के छात्र बल्कि यहाँ के प्राध्यापकों विशेषकर डॉ. तापस पाल, डॉ. शौकत, पुष्पा एवं कॉलेज के अन्य अध्यापकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अपने अधिदेशों को पूर्ण करता हुआ यह महाविद्यालय ना केवल मत्स्यपालन क्षेत्र और नवाचारों बल्कि अनुसंधान को आगे बढ़ाकर राज्य और राष्ट्रनिर्माण में अपने योगदान के लिए संकल्पित है बल्कि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के सफल परिणामों को अधिकतम करने की दिशा में भी लगातार कार्य कर रहा है।

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