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किशनगंज जिला में उत्पादित तेजपत्ता देश के कोने-कोने में बिखेर रहे हैं पकवानों में अपनी महक।

विजय गुप्ता,सारस न्यूज,गलगलिया।

तेज पत्ता जिसका इस्तेमाल खाने में खुशबू तथा स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है,साथ ही यह औषधीय गुणों से भरपुर भी होता है। भोजन करते समय अक्सर हमने तेजपत्ते को थाली से बाहर कर दिया होगा। मगर जब आप इसके औषधीय गुण को जानेंगे तो बड़े चाव से इसका सेवन करेंगे। अब किशनगंज जिले के खेतों में उपज रहे तेज पत्ता से रसोई घर में महक बिखेरने के साथ-साथ किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं। बिहार के उत्तर पूर्व भाग  नेपाल एवं पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से सटे किशनगंज जिला में उत्पादित तेजपत्ता अब देश के कोने-कोने मे मुगलई पकवानों में अपनी महक बिखेरने को बेताब है। औषधीय गुणों से भरपूर तेजपत्ता की खेती जिले मे खासकर ठाकुरगंज एवं गलगलिया में दिन दूनी रात चौगुनी की तरह फैल रही है। अब किसान हजारों की संख्या में तेजपत्ता की खेती करने में जुट गए है। तेजपत्ता मुख्य रूप से  रूस, मध्य व उत्तरी अमेरिका,फ्रांस, बेल्जियम, इटली के साथ भारत के मेघालय, अरूणाचल प्रदेश व नागालैण्ड में उपजाया जाता है। इस पेड़ को यदि एक बार लगाया गया तो यह 50 से 100 सालों तक उपज देता रहता है। रोपण करने के 6 साल बाद जब इसका पेड़ पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो इसकी पत्तियों को इकठ्ठा कर लिया जाता है और इन्हें छाया में सुखाया जाता है। तब ये पत्तियां उपयोग करने के लिए तैयार हो जाती है।

कहते है तेज पत्ता उत्पादक किसान

किशनगंज जिले के गलगलिया में तेजपत्ता उत्पादन करने वाले किसान अजीत सिंह, मो जलील,अरुणा सिंह एवं लक्ष्मी सिंह ने बताया कि इस जिले की भौगोलिक स्थिति तेजपत्ता के लिए अनुकूल है। हिमालय का तराई क्षेत्र इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। चाय की फसल के बीच चालीस फीट की दूरी पर तेजपत्ता का वृक्ष लगाया जाता है। चाय को छायादार वृक्ष की आवश्यकता होती है। ऐसे में छायादार वृक्ष चाय की खेती के लिए तेजपत्ता को प्रयोग के तौर पर लगाया गया है। वर्ष भर में एक बार इसे तोड़ा जाता है। जिससे पंद्रह सौ रूपये प्रति वृक्ष लाभ होता है। जिले में चाय की खेती करीब सोलह हजार एकड़ में फैली हुई है। यदि सभी चाय उत्पादक किसान तेजपत्ता को छायादार वृक्ष के रूप में लगाने लगे तो किशनगंज देश का सबसे बड़ा तेजपत्ता उत्पादक क्षेत्र बन सकता है। 

तेज पत्ता का औषधीय महत्व

ग्रीनवूड प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र सिलीगुड़ी के चिकित्सक डा. नीलम सरजू ने बताया कि तेजपत्ता का वानस्पतिक नाम लउरस नोबोलीस है। जिसका उपयोग मुगलई पकवानों में सुगंध के लिए होता है। तेज पत्ता जो पाचन दुरूस्त करने के साथ -साथ जोड़ो के दर्द, रक्त शोधक, दांत चमकाने, सिरदर्द, रक्त चाप, मधुमेह, माइग्रेन, गैस्टिक , अल्सर,सर्दी-ज़ुक़ाम, नज़ला, खांसी, अतिसार, दमा सहित अनेक रोगों में यह अत्‍यंत लाभकारी है। उन्होने बताया कि तेजपत्ता में विटामिन सी, एंटीबैक्टेरियल डाईजेस्टिव कोपर, पोटाशियम, कैल्शियम, मैगनीज, आयरन, जिंक आदि खनिज पाए जाते है।

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