राजीव कुमार, वेब डेस्क, सारस न्यूज़।
यदि आप बिहारी हैं या बिहार से किसी तरह जुड़े हुए भी हैं तो इस पोस्ट में लिखी हुई हर बातें आपको पहले से पता है। और हम यही कहेंगे छठ पूजा खत्म होने के बाद अब ठेकुआ तसल्ली से खाइए, सब में बांटिए, परिवार या मित्र जो दूर रहते हैं, उन्हें भेजने का प्रबंध कीजिये। जय छठी मइया!
ठेकुआ: छठ पूजा का पवित्र प्रसाद और बिहार की मिठास का प्रतीक। परंपरा, स्वाद और भक्ति का अनोखा संगम।
ठकुवा (जिसे “थेका” या “ठेकुआ” भी कहा जाता है) बिहार और झारखंड का एक पारंपरिक मीठा व्यंजन है, जिसे खासतौर पर छठ पूजा के अवसर पर बनाया जाता है। यह स्वादिष्ट और पोष्टिक मिठाई गेंहू के आटे, गुड़ या चीनी, और घी से बनाई जाती है। इसे अक्सर पूजा की थाली में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और इसे श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
ठकुवा बनाने की सामग्री:
- गेंहू का आटा: इसका उपयोग ठकुवा का बेस तैयार करने के लिए होता है।
- गुड़ या चीनी: मिठास के लिए।
- घी: गूंथने और तलने के लिए।
- सौंफ: खुशबू और स्वाद बढ़ाने के लिए।
- नारियल: कद्दूकस किया हुआ नारियल भी डाला जाता है, जो स्वाद में गहराई लाता है।
बनाने की प्रक्रिया:
- आटे में गुड़ (पिघला हुआ) या चीनी, सौंफ और घी मिलाकर सख्त आटा गूंथा जाता है।
- फिर इस आटे को छोटे-छोटे आकार में बेलकर पारंपरिक डिजाइन वाले सांचे से दबाकर आकार दिया जाता है।
- इनको धीमी आंच पर घी या तेल में तला जाता है, जब तक ये सुनहरे भूरे रंग के न हो जाएं।
ठकुवा की विशेषता:
- यह लंबे समय तक खराब नहीं होता, इसलिए इसे सफर में ले जाना आसान होता है।
- इसे बिना रेफ्रिजरेशन के कई दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- यह स्वाद में कुरकुरा और मीठा होता है, जिससे यह हर उम्र के लोगों को पसंद आता है।
ठकुवा का सांस्कृतिक महत्व:
छठ पूजा में ठकुवा को सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है। इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और इसमें स्थानीय संस्कृति की झलक दिखती है। यह व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसे बनाने और बांटने से परिवार और समाज के बीच जुड़ाव भी मजबूत होता है।