• Sat. Sep 13th, 2025

Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

दाखिल खारिज रद्द करने के लिए आवेदन देने के बावजूद फर्जी केवाला के आधार पर अंचल कार्यालय ने जमीन का कर दिया दाखिल ख़ारिज।

शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।

ठाकुरगंज (किशनगंज): भातगांव पंचायत के भातगांव मौजा (तौजी नंबर 322, थाना नंबर 01) में भूमि दाखिल-खारिज में अनियमितता का गंभीर मामला सामने आया है। यह जमीन स्वर्गीय नफर अली के नाम दर्ज थी, जिसकी जमाबंदी संख्या 19 (पृष्ठ संख्या 14) एवं जमाबंदी संख्या 893 (पृष्ठ संख्या 744) पर अंकित है।

फर्जी दस्तावेजों से हुआ दाखिल-खारिज?

पीड़ित मो. कासमुद्दीन ने आरोप लगाया है कि उनके सौतेले भाई मोहम्मद जमील अख्तर (अमीन) ने फर्जी निबंधित केवाला तैयार करवाकर अंचल कार्यालय को गुमराह कर इस भूमि का दाखिल-खारिज अपने नाम करवा लिया।

मामला निम्नलिखित खातों एवं खेसरा नंबर से संबंधित है:

  • खाता संख्या 19 | खेसरा संख्या: 2855/2857/2858 | कुल रकवा: 1 एकड़ 32 डी 100 वर्ग कड़ी
  • खाता संख्या 345 | खेसरा संख्या: 3101 | कुल रकवा: 12 डिसमिल

पीड़ित मो. कासमुद्दीन ने 29 नवंबर 2024 को सीओ कार्यालय में दाखिल-खारिज रद्द कराने के लिए आवेदन दिया था, जिसकी रसीद उनके पास मौजूद है। लेकिन, इसके बावजूद अंचल कार्यालय ने उनके आवेदन को नजरअंदाज कर दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पूरी कर दी।

बिना स्थलीय जांच के दाखिल-खारिज, प्रशासन की लापरवाही उजागर

दाखिल-खारिज की प्रक्रिया के तहत नियमों के अनुसार संबंधित पंचायत कर्मियों को भूमि का स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करनी होती है। लेकिन, ठाकुरगंज अंचल कार्यालय में बगैर किसी स्थलीय जांच के ही दाखिल-खारिज की रिपोर्ट तैयार कर दी गई।

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि फर्जी दस्तावेजों से भूमि हड़पने वाले आरोपी मोहम्मद जमील अख्तर (अमीन) के खिलाफ अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। अंचल कार्यालय ने केवल गलगलिया थाना से सूचना मंगाकर मामले को रफा-दफा कर दिया।

सीओ की निष्क्रियता, प्राथमिकी दर्ज कराने में बरती गई लापरवाही

ठाकुरगंज अंचल की सीओ सुचिता कुमारी ने इस मामले में अपने कार्यालय की ओर से आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की कोई पहल नहीं की।

हालांकि, पीड़ित मो. कासमुद्दीन ने गलगलिया थाना में मोहम्मद जमील अख्तर (अमीन) समेत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है।

प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे गंभीर सवाल

विभागीय स्तर पर प्राथमिकी दर्ज न किए जाने से अंचल कार्यालय की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। पीड़ित ने उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

स्थानीय जानकारों का कहना है कि अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज हो या परिमार्जन का मामला, लाभार्थियों को महीनों तक चक्कर लगाने को मजबूर किया जाता है। यहां तक कि पारिवारिक बंटवारे के मामलों में भी लाभार्थियों को अंचल कार्यालय के कर्मियों की ‘सुविधा शुल्क’ देने के लिए मजबूर किया जाता है।

पीड़ित को न्याय मिलेगा या प्रशासन करेगा अनदेखी?

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर अनियमितता पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *