बुधवार को मोहर्रम के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें युवा वर्ग और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर विभिन्न ग्रामीण इलाकों से लोग अपने काफिले के साथ बहादुरगंज गुदरी बाजार पहुँचे, जहाँ से यह काफिला जुलूस के रूप में नगर के मुख्य मार्ग से होकर कर्बला मैदान पहुँचा। जुलूस में शामिल लोगों ने पारंपरिक अंदाज में करतब दिखाए।
व्यवस्था बनाए रखने के लिए जगह-जगह पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी। त्योहार को भाईचारे और शांति पूर्ण माहौल में मनाने के लिए पूर्व में फ्लैग मार्च भी निकाला गया था।
जुलूस में प्रशिक्षु डीएसपी सह थाना अध्यक्ष अभिनव परासर, पूर्व थाना अध्यक्ष अभिषेक रंजन, अपर थानाध्यक्ष पंकज कुमार पंथ, सर्किल इंस्पेक्टर संजय पांडेय, अंचल अधिकारी आशीष कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी सुरेंद्र तांती, और नप कार्यपालक पदाधिकारी अतिउर रहमान सहित कई अन्य लोग प्रमुख रूप से मौजूद थे।
नगर की सड़कों पर निकले जुलूस के दौरान “या अली” और “या हुसैन” के नारों से वातावरण गूंजायमान रहा। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया कि मोहर्रम का पर्व मातम का पर्व है, जिसमें वे अली और हुसैन की मौत का मातम मनाकर इस दिन को याद करते हैं।
सारस न्यूज़, बहादुरगंज, किशनगंज।
बुधवार को मोहर्रम के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें युवा वर्ग और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर विभिन्न ग्रामीण इलाकों से लोग अपने काफिले के साथ बहादुरगंज गुदरी बाजार पहुँचे, जहाँ से यह काफिला जुलूस के रूप में नगर के मुख्य मार्ग से होकर कर्बला मैदान पहुँचा। जुलूस में शामिल लोगों ने पारंपरिक अंदाज में करतब दिखाए।
व्यवस्था बनाए रखने के लिए जगह-जगह पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी। त्योहार को भाईचारे और शांति पूर्ण माहौल में मनाने के लिए पूर्व में फ्लैग मार्च भी निकाला गया था।
जुलूस में प्रशिक्षु डीएसपी सह थाना अध्यक्ष अभिनव परासर, पूर्व थाना अध्यक्ष अभिषेक रंजन, अपर थानाध्यक्ष पंकज कुमार पंथ, सर्किल इंस्पेक्टर संजय पांडेय, अंचल अधिकारी आशीष कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी सुरेंद्र तांती, और नप कार्यपालक पदाधिकारी अतिउर रहमान सहित कई अन्य लोग प्रमुख रूप से मौजूद थे।
नगर की सड़कों पर निकले जुलूस के दौरान “या अली” और “या हुसैन” के नारों से वातावरण गूंजायमान रहा। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया कि मोहर्रम का पर्व मातम का पर्व है, जिसमें वे अली और हुसैन की मौत का मातम मनाकर इस दिन को याद करते हैं।
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