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नहाय खाय के साथ चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू।

विशेष संवाददाता, सारस न्यूज़, खोरीबाड़ी।

भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती क्षेत्रों व भद्रपुर में लोक आस्था का महा पर्व छठ पर्व शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। पर्व को लेकर व्रतियों में काफी उत्साह है। लोग तैयारी में जुट गए हैं। बाजार से सामान की खरीदारी कर रहे हैं। शुक्रवार को व्रती नहा-धोकर कद्दू की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल सहित आलू व बैंगन के पकोड़े बनाकर भगवान को भोग लगाया। इसके बाद सपरिवार प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद शनिवार को व्रती महिलाएं खरना व्रत के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी। रविवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अ‌र्घ्य दिया जाएगा और सोमवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होगा। इसको लेकर सीमा वासियों ने मेची नदी की साफ-सफाई करने के साथ ही घरों पर भी तैयारी करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा घरों पर महिलाओं ने भी पूजा को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है। ऐसा हो भी क्यों नहीं क्योंकि मेची नदी के घाट को देखकर हर धर्म के लोगों को भी काफी पंसद जो आता है।

यहां भारत व नेपाल के छठव्रती बड़ी संख्या में भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी घाट पर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाते हैं। दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर प्रखंड के दर्जनों गांव जैसे डांगुजोत देवीगंज, सोनापिण्डी, डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा, बैरागीजोत आदि व नेपाल के भद्रपुर, कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, धुलाबाड़ी चंद्रगुडी, आदि इलाकों के बड़ी संख्या में दोनों देशों के छठव्रती सरहद की सीमा को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हैं। दोनों देश के एक साथ पर्व मनाने का अद्भुत दृश्य व नजारा देखने लायक होता है। दोनों देशों के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अर्घ्य देते आ रहे हैं। मुख्य रूप से भारत के बंगाल, बिहार और नेपाल के झापा जिला के छठव्रती मेची नदी घाट पर नियम निष्ठा से लोक आस्था का महापर्व मनाते हैं। मेची नदी के पूर्वी तट पर भारतवासी छठव्रती तो पश्चिमी तट पर नेपालवासी छठ पर्व मनाते है। इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोग सहित हर धर्म के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढऩे लगी और आज बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी सहित कई अन्य धर्म के भी लोग छठ पर्व करते हैं। हालांकि पिछले दो सालों से कोरोना वायरस के हाहाकार मचाने के कारण यह दृश्य देखने को नहीं मिली थी।

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