पिछले एक दो सप्ताह में ही आपने या तो किसी को रिश्वत दिया होगा या किसी से रिश्वत लिया होगा। और यदि आप इतने खुशनसीब है की न रिश्वत लेना पड़ा है न देना पड़ा है फिर भी रिश्वत लेने या देने वाले से सामना तो जरूर हुआ होगा, शायद साथ बैठकर चाय भी पिए होंगे।
भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी है। हो सकता है ऐसा इसीलिए है क्योंकि हमारा लोकतंत्र अभी परिपक्क नहीं है। भ्रष्टाचार केवल रिश्वत लेने-देने तक सीमित नहीं है। यह एक मानसिकता है – “काम निकालना है तो कुछ देना पड़ेगा”। यह मानसिकता सरकारी दफ्तरों से लेकर निजी संस्थानों तक फैली हुई है। स्कूलों में दाखिले से लेकर अस्पतालों में इलाज तक, हर जगह कहीं न कहीं भ्रष्टाचार की छाया दिखाई देती है। ब्लॉक जाइये तो पैसा देना है। जमीन का म्युटेशन करवाना हो तो पैसा देना है। थाना में FIR या सनहा भी दर्ज करना है तो आसानी से नहीं होता। प्रशासनिक भ्रष्टाचार के अलावा सामाजिक भ्रष्टाचार और राजनीतिक भ्रष्टाचार की जड़ें भी हमारे देश और समाज में बहुत गहरी है।
ऐसा नहीं है की हम और आप रिश्वत देकर काम करवाने में बहादुरी समझते लेकिन आम तौर पर कोई उपाय नहीं दिखता और लोग रिश्वत देकर काम करवाने के लिए मजबूर होते हैं। भ्रष्टाचार शब्द तो सुनते ही मन में आक्रोश, निराशा और असहायता की भावना पैदा करता है। यह केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि एक ऐसा दीमक है जो हमारे देश की नींव को खोखला कर रहा है। आज जब भारत विश्व मंच पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है, तब यह और भी आवश्यक हो गया है कि हम अपने भीतर की कमजोरियों को पहचानें और उन्हें जड़ से समाप्त करें। भ्रष्टाचार को हटाना कोई एक दिन का कार्य नहीं, बल्कि एक सतत प्रयास है जिसमें हर नागरिक की भागीदारी अनिवार्य है।
अब समय आ गया है कि हम केवल शिकायत न करें, बल्कि समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं। “भ्रष्टाचार मिटाना है” केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन बनना चाहिए। सारस न्यूज़ आपके प्रयास में आपके साथ है। स्वयं से शुरुआत करें। कभी भी रिश्वत न दें, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। अपने बच्चों को भी ईमानदारी का मूल्य समझाएं। अपने कार्यस्थल पर पारदर्शिता बनाए रखें, खासकर यदि आप किसी जिम्मेदार पद पर हैं। प्रौद्योगिकी का उपयोग जैसे डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन सेवाएं भ्रष्टाचार को कम करने में सहायक हैं, उसका उपयोग करें। RTI (सूचना का अधिकार) का उपयोग कर पारदर्शिता बढ़ाएं। यदि आप शिक्षा से जुड़े हैं तो स्कूलों और कॉलेजों में भ्रष्टाचार विरोधी पाठ्यक्रम शामिल करें। सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाएं। सरकार को चाहिए की भ्रष्टाचार के खिलाफ और सशक्त कानून और सजा निर्धारित करें। भ्रष्ट अधिकारियों को त्वरित और कठोर सजा दी जाए। लोकपाल और लोकायुक्त संस्थाओं को अधिक अधिकार दिए जाएं।
भारत की युवा शक्ति ही इस लड़ाई की सबसे बड़ी ताकत है। जब युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो व्यवस्था को झुकना पड़ता है। स्वयंसेवी संगठन बनाएं जो भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करें। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भ्रष्टाचार विरोधी कंटेंट बनाएं। राजनीति में ईमानदार चेहरों को आगे लाएं। अभी चुनाव आने वाला है, आते ही रहता है। चुनाव में ऐसे उम्मीदवार को वोट दे जो भ्रष्ट नहीं हो, या सबसे कम भ्रष्ट हो।
हम भष्टाचार को मिटाने में मीडिया की जिम्मेदारी समझते हैं। सारस न्यूज़ इसके लिए प्रतिबद्ध है। मुश्किलें आएंगी, लेकिन आपके साथ मिलकर सामना करेंगे। निष्पक्ष रिपोर्टिंग, भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करना, और जनता को जागरूक करना हमारी प्राथमिकता है। इसमें सहयोग करें। कोई रिश्वत मांगे तो सम्बंधित वरीय पदाधिकारी को सूचित करें साथ ही हमें भी बतायेँ। क्या होगा, कुछ दिन के लिए काम रुकेगा, लेकिन होगा जरुर और अच्छे से होगा। ऐसा करने से एक सजग देशवासी होने की जिम्मेवारी भी पूरी होगी। जब लोग जान की बाजी खेलकर अपनी जान देकर अपने आने वाली पीढ़ी (यानी आज की हमारी पीढ़ी) के लिए स्वतंत्र भारत का निर्माण कर सकते तो क्या हम भी अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए थोड़े मामूली कष्ट सहकर रिश्वत और भ्रष्टाचार को न कहकर एक स्वस्थ भ्रष्टाचार रहित देश और समाज का निर्माण नहीं कर सकते? अपने दिल से पूछिए।
भ्रष्टाचार को हटाना एक कठिन कार्य है, लेकिन असंभव नहीं। यह तभी संभव है जब हम सभी मिलकर एकजुट हों और “भ्रष्टाचार मिटाना है” को केवल नारा नहीं, बल्कि जीवनशैली बना लें। हर रिश्वत से इनकार, हर गलत काम का विरोध, और हर ईमानदार प्रयास को समर्थन – यही है नए भारत की नींव।
आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं जहाँ ईमानदारी गर्व की बात हो, और भ्रष्टाचार शर्म की।