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शराब पीने या बेचने के जुर्म में पकड़े गए लोगों को नहीं मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ, चुनाव लड़ने में भी लगेगा प्रतिबंध।

सारस न्यूज एजेंसी,पटना ।

बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद इसकी अनदेखी व उल्लंघन करने वाले पर और कई कानूनी शिकंजा कसने के लिए सरकार नए मसौदा तैयार कर रहा है। शराब पीने या बेचने के जुर्म में पकड़े गए लोगों को सरकारी योजनाओं के लाभ से बेदखल करने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही चुनाव लड़ने से भी इन्हें प्रतिबंधित किया जा सकता है। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग इससे जुड़ा प्रस्ताव बना रहा है। राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही इस दिशा में कार्रवाई शुरू हो जाएगी। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग में शुक्रवार को इसको लेकर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता में निर्वाचन, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, पंचायती राज, परिवहन, सहकारिता, परिवहन सहित 15-16 प्रमुख विभागों की राय ली गई। 
मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम-2016 की धारा 65 में यह प्रविधान है कि राज्य सरकार यदि चाहे तो किसी भी धारा के तहत चार्जशीटेड अथवा सजा पाए अभियुक्त को कतिपय सुविधाएं, लाइसेंस आदि से वंचित कर सकती है। इसी संबंध में स्पष्ट नीति बनाने का काम चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, सभी विभागों से ऐसी सरकारी योजनाओं की जानकारी ली गई है, जिनका लाभ लोगों को दिया जाता है। निर्वाचन विभाग से पूछा गया कि क्या ऐसे लोगों को चुनाव लडऩे से रोक जा सकता है? विभागों के अधिकारियों से पूछा गया कि विभागीय नियमावली में किसी व्यक्ति के सजायफ्ता हो जाने पर उनको किन अधिकारों या सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है। विभागों से मिली जानकारी के आधार पर फाइनल ड्राफ्ट का काम चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट में भेजा जाएगा।
शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद भले ही पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर जुर्माना देकर छोड़े जाने का प्रविधान किया गया है, मगर जुर्माना देकर छूटने वाले शराबी भी कानून के तहत दोषी माने जाएंगे। उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा शराब निर्माण व तस्करी से जुड़े लोगों को भी सजा मिलने के साथ योजनाओं के लाभ से बेदखल किया जाएगा। शराबबंदी कानून के तहत जो लोग पहले भी पकड़े गए हैं, उन्हें भी योजनाओं के लाभ से वंचित रखने की तैयारी है।

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