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नक्सलबाड़ी में कृषि बांध टूट जाने से हजारों किसानों पर मंडराया संकट। वाम शासन के दौरान बनाए गए कृषि बांध।

चंदन मंडल, नक्सलबाड़ी

नक्सलबाड़ी में पर्याप्त पानी नहीं होने से किसान अपनी जमीन में पौधे नहीं लगा पा रहे हैं। बरसात के मौसम में भी किसान बारिश के पानी के लिए रो रहे हैं। स्थानीय किसानों की शिकायत है कि वाम शासन के दौरान बनाए गए कृषि बांधों की मरम्मत के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। नक्सलबाड़ी में बटारिया नदी पर बने ज्यादातर कृषि बांध टूट चुके हैं। कहीं बांध के स्लुइस गेट तोड़ दिए गए हैं और कहीं बांध के दोनों किनारों पर गार्डवॉल तोड़ दिए गए हैं और पानी बाहर निकल रहा है और कहीं बांध पर डंपिंग ग्राउंड का निर्माण किया गया है। लंबे समय से सफाई नहीं होने के कारण सिंचाई के कुएं भी जंगल और कचरे से बंद हो गए हैं।

नक्सलबाड़ी की लाइफ लाइन बटारिया नदी पर बने कृषि बांधों की स्थिति ऐसी ही है। भारी बारिश में किसान पानी के लिए तड़प रहे हैं। किसान नदी में कृत्रिम बांध बनाकर अमन धान की खेती के लिए बेताब प्रयास कर रहे हैं। नक्सलबाड़ी प्रखंड के कोटिया जोत में बटारिया नदी के कृषि बांध पर ऐसा न बारिश नहीं होने के कारण अमन धान की रोपाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खेत जोतने के बाद किसान बारिश के पानी का इंतजार कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में धान का खेत मजबूत हो रहा है। लेकिन इस बार भारी बारिश नहीं दिख रही है। नतीजतन, भूमि में पर्याप्त पानी की कमी के कारण मिट्टी कठोर हो जाती है। नदियों में कृषि बांध होने के बावजूद किसानों को सिंचाई का पानी नहीं मिल रहा है। कई किसान बिना पानी के जुताई मशीन किराए पर लेने को मजबूर हैं।

नक्सलबाड़ी में कृषि बांधों की खराब स्थिति ने किसान संगठनों के नेतृत्व में रोष पैदा कर दिया है। उनकी शिकायत है कि बांध तो है लेकिन रखरखाव के अभाव में पानी बर्बाद हो रहा है। कृषि विभाग के मुताबिक नक्सलबाड़ी में अभी तक 20 -25 फीसदी जमीन पर भी किसानों ने पौधे नहीं लगाए हैं। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार अमन के पौधे अगस्त के मध्य तक लगाए जा सकते हैं। कृषि विभाग ने कहा कि अगर इस समय के बाद जमीन में रोपे लगाए जाते हैं, तो चावल की पैदावार उम्मीद के मुताबिक नहीं होगी। नक्सलबाड़ी की अधिकांश भूमि कृषि के लिए बटारिया नदी पर निर्भर है।

1990 के दशक के दौरान, बटारिया नदी पर कृषि उद्देश्यों के लिए लगभग छह छोटे और बड़े बांधों का निर्माण किया गया था। इस बांध से कृषि भूमि तक पानी ले जाने के लिए सिंचाई नहरों का निर्माण किया गया था। उस समय कृषि योग्य भूमि की मात्रा भी बहुत अधिक थी। लेकिन इन बांधों का लंबे समय से मरम्मत नहीं किया गया है। ये बांध किलाराम जोत, बेंगाईजोत, नक्सलबाड़ी में कुटिया जोत, उत्तर दयाराम पगलाबस्ती, रोक जोत, रघु जोत में स्थित हैं। ये बांध पूरी तरह से बेकार हैं। लगभग 18 क्षेत्रों में हजारों किसान कृषि के लिए इन बांधों के पानी पर निर्भर हैं।

कोटिया जोत हलुआ किसान संघ के सदस्य मनोरंजन सिंह ने कहा कि बटारिया ने बहुत पहले नदी को बांध दिया था। बांध के स्लुइस गेट टूट गए। नतीजतन, यह अब पानी नहीं रखता है। हमने कुछ चट्टानों से बांध को अवरुद्ध कर दिया। लेकिन मुझे पानी नहीं मिल रहा है। नतीजतन, यहां के करीब 1,000 किसानों को अमन धान की खेती के लिए आसमान के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन बारिश के पानी की कमी के कारण मैं ऐसा नहीं कर सकता। जैशिंग जोत कृषक संघ के सचिव बेनामी सिंह ने कहा कि बांध सिलीगुड़ी उप-जिला परिषद से बनाए गए थे। इस बांध की मरम्मत के लिए हम कई बार सिलीगुड़ी उप-जिला परिषद के कार्यालय और विधायक को लिखित शिकायत दे चुके हैं लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ है किलाराम जोत के किसान चंदन विश्वकर्मा ने कहा, ”मेरे पास बटारिया नदी के पास तीन बीघा जमीन है। लेकिन बांध का गेट तोड़कर पानी निकल रहा है। नतीजतन, मैं उस पानी को जमीन पर नहीं ला सकता। इस क्षेत्र के अधिकांश किसानों ने बीज क्यारियों से पौध एकत्र की है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। बारिश होने पर ही अमन के पौधे जमीन में लगाएं जायेंगे। हालांकि शनिवार की जोरदार बारिश बारिश ने थोड़ी राहत दी है। लेकिन इस बारिश से जितनी सहूलियत मिलनी चाहिए थी। उतनी नहीं मिलेगी। इस संबंध में नक्सलबाड़ी के बीडीओ अरिंदम मंडल ने कहा इसको हम देखकर बताएंगे।

वहीं दूसरी ओर इस संबंध में नक्सलबाड़ी प्रखंड कृषि पदाधिकारी तमाली सरकार से फोन पर बात करने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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