चंदन मंडल, सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।
लोकप्रिय छठ गीतों, जैसे “केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके” और “मारबो रे सुगवा धनुष से, सुगा गिरे मुरझाय,” की मधुर ध्वनियों से वातावरण भक्तिमय और उल्लासमय बना हुआ है। भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती क्षेत्रों और भद्रपुर में लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत के दूसरे दिन सभी व्रतियों ने खरना अनुष्ठान सम्पन्न किया। इस दिन, व्रतियों ने सुबह से उपवास रखा और संध्या में पवित्र स्नान के बाद पूजा की। पूजा के उपरांत व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया, जिसमें परिवार की महिलाओं ने पारंपरिक छठ गीत गाए, और परिवार के अन्य लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया।
खरना के प्रसाद के बाद, श्रद्धालु देर शाम तक व्रतियों के घर आकर आशीर्वाद लेते रहे। पूरे माहौल में भक्ति और आस्था की गहन अनुभूति व्याप्त रही। गुरुवार को व्रतियों द्वारा अस्ताचलगामी सूर्य को और शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसके साथ व्रत का पारण होगा। अर्घ्यदान के लिए मेची नदी के छठ घाट पूरी तरह सज-धजकर तैयार हैं, और बड़ी संख्या में व्रती गुरुवार को यहां पहुंचेंगे। दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं का मेची नदी के घाटों पर आना शुरू हो जाएगा, और शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य के दौरान घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहेगी।