सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज़, दार्जिलिंग।
रूस व यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर यूक्रेन में रहकर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों पर दिख रहा है। बड़ी मुश्किल से वहां से निकलकर छात्र अपने देशों में लौट पा रहे हैं। इस क्रम में गुरुवार को बागडोगरा एयरपोर्ट पर दार्जिलिंग के दो विद्यार्थी उतरे। एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही वे अपने परिजनों से लिपट गए। परिजनों ने अपने बच्चों को सामने पाकर राहत की सांस ली। एक पल के लिए इनकी आंखों में आंसू उतर आए थे । इसकी वजह भी थी। दरअसल वे जहां से लौट कर आए हैं वहां का मंजर इतना खतरनाक हो चुका है कि यहां से लौटकर चले आना ही अपने आप में एक बड़ी बात है । दोनों मेडिकल के विद्यार्थी हैं, जो पश्चिम यूक्रेन के लविव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। दार्जिलिंग की रहने वाली केलसांग गाटसो भूटिसा एमबीबीएस की द्वितीय वर्ष तो आलोक मिश्रा तृतीय वर्ष के छात्र हैं। इन दोनों विद्यार्थियाें ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि पूरा यूक्रेन युद्धग्रस्त हो चुका है। वहां जो लोग भी फंसे हैं काफी मुश्किल हालात में है। अपनी जान हथेली पर रखकर वे जैसे- तैसे यूक्रेन से निकलकर पोलैंड की सीमा पर पहुंचे। इस बीच उन्होंने जंगल में सोकर रात बिताई। माइनस 5 डिग्री सेल्सियस के बीच वह लगातार अंतर्राष्ट्रीय बार्डर की ओर बढ़ते रहे। भूख व प्यास को वे भूल ही गए थे। वहां फिलहाल जबरदस्त बर्फबारी हो रही है और तापमान माइनस 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर अफरा तफरी का माहौल था। सभी अपने साथियों को ढूंढते दिख रहे थे। उनकी भी अपने बैच के साथियों से यहां मुलाकात हो गई। उन्हें सुरक्षित पाकर अच्छा लगा। यहां आने के बाद उन लोगाें का भारतीय दूतावास से संपर्क हो पाया। दूतावास से संपर्क होने के बाद सबकुछ ठीक-ठाक रहा। बस से उन्हें पोलैंड के हवाई अडडे पर लाया गया। यहां से वह दिल्ली के लिए उड़ान भरे।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन में दो भारतीय छात्रों की मौत हुई है। पोलैंड बार्डर आने पर उन्हें इसकी जानकारी हुई। उन्हें इसका बेहद अफसोस है। बागडोगरा एयरपोर्ट पर लेने के लिए आालोक मिश्रा व केलसांग गाटसो भूटिया के परिजन पहुंचे हुए थे। उनके परिजनों ने कहा कि अब वे राहत की सांस ले सकते हैं। लेकिन जो दूसरे बच्चे वहां फंसे हुए हैं उनके लिए भी कहीं न कहीं उनके मन में चिंता है। भारत सरकार जल्द से जल्द सभी बच्चों को वहां से निकालें ताकि किसी को कोई खतरा ना हो। हर घंटे उनकी अपने बच्चों से बात होती रही। हर समय एक अनहोनी का डर बना हुआ था। टीवी पर युद्ध का दृश्य बेहद डरावना था।