सिलीगुड़ी शहर से थोड़ी दूर माटीगाड़ा के खपरैल मोड़ के निकट बालासन नदी के ऊपर से गुजरते एनएच-31 (अब एनएच-10) का बालासन ब्रिज लगभग 10 महीने के बाद अंतत: पूरी तरह खुल गया। हालांकि, अभी भी इस ब्रिज से 15 टन से अधिक मालवाहक वाहनों को इस ब्रिज से गुजरने की अनुमति नहीं होगी। अन्य सारे वाहन यहां तक कि बिहार व अन्य राज्य आवाजाही करने वाली बड़ी वोल्वो यात्री बसें भी आ व जा सकेगी। सोमवार को बालासन ब्रिज का जायजा लेने के बाद सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव व सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के कमिश्नर गौरव शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होंने निर्धारित समय से एक दिन पहले ही कामकाज पूरा कर ब्रिज खोल दिए जाने हेतु पीडब्ल्यूडी के एनएच डिविजन का शुक्रिया अदा किया।
बताते चलें कि गत 18 अक्टूबर 2021 से दो दिनों तक लगातार हुई मूसलधार बारिश में बालासन ब्रिज का एक पिलर क्षतिग्रस्त हो कर थोड़ा धंस गया था। तब, लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर उस ब्रिज से वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई। वहां विकल्प के रूप में ह्योम ब्रिज बनाया गया। उसके द्वारा नियंत्रित व सीमित रूप में छोटे-मोटे वाहनों की आवाजाही होने लगी। मगर, वह ह्योम ब्रिज भी इधर बीते जून महीने में मूसलधार बारिश में बह गया। तब से अब तक क्षतिग्रस्त बालासन ब्रिज पर बने अस्थाई बेली ब्रिज द्वारा ही नियंत्रित रूप में वाहनों की आवाजाही हो रही थी। वहीं, साथ ही साथ क्षतिग्रस्त पिलर के दाएं एवं बाएं दोनों ओर नए सपोर्ट पिलर का निर्माण भी जारी था। उन सपोर्ट पिलर को अंतिम रूप देने व बेली ब्रिज को खोल कर हटाने हेतु गत 19 अगस्त से बालासन ब्रिज पूरी तरह बंद था, जो सोमवार 22 अगस्त से खुल गया। अब बालासन ब्रिज से पूर्व की ही भांति वाहनों की आवाजाही स्वाभाविक हो जाएगी। पर 15 टन से अधिक वजनी वाहनों की आवाजाही पर अभी भी रोक रहेगी।
उल्लेखनीय है कि बालासन ब्रिज के क्षतिग्रस्त रहने के चलते गत 10 महीने से अधिक समय से सिक्किम व भूटान और दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र एवं सिलीगुड़ी समेत पूरे पूर्वोत्तर भारत से वाहनों की शेष भारत आवाजाही में माटीगाड़ा बालासन ब्रिज हो कर जाने-आने के बजाय नौका घाट, मेडिकल के रास्ते जाना-आना पड़ रहा था। इसके साथ ही बिहार व अन्य राज्यों को जाने-आने वाली बसों को भी इसी बदले हुए मार्ग से जाना पड़ रहा था। इसमें लगभग अतिरिक्त 15 किलोमीटर लंबी यात्रा हो जा रही थी। वहीं, इसके चलते ईस्टर्न बाइपास, हिलकार्ट रोड, बर्दवान रोड, नौका घाट, कावाखाली एशियन हाईवे-2 पर अतिरिक्त भार भी बढ़ गया था। प्रत्येक दिन भीषण जाम की समस्या से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा था। अब क्षतिग्रस्त पिलर के सपोर्ट पिलर बन जाने के बाद एनएच-31 पर अवरुद्ध यातायात बहुत हद तक स्वाभाविक हो गया।
सारस न्यूज, सिलीगुड़ी।
सिलीगुड़ी शहर से थोड़ी दूर माटीगाड़ा के खपरैल मोड़ के निकट बालासन नदी के ऊपर से गुजरते एनएच-31 (अब एनएच-10) का बालासन ब्रिज लगभग 10 महीने के बाद अंतत: पूरी तरह खुल गया। हालांकि, अभी भी इस ब्रिज से 15 टन से अधिक मालवाहक वाहनों को इस ब्रिज से गुजरने की अनुमति नहीं होगी। अन्य सारे वाहन यहां तक कि बिहार व अन्य राज्य आवाजाही करने वाली बड़ी वोल्वो यात्री बसें भी आ व जा सकेगी। सोमवार को बालासन ब्रिज का जायजा लेने के बाद सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव व सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के कमिश्नर गौरव शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होंने निर्धारित समय से एक दिन पहले ही कामकाज पूरा कर ब्रिज खोल दिए जाने हेतु पीडब्ल्यूडी के एनएच डिविजन का शुक्रिया अदा किया।
बताते चलें कि गत 18 अक्टूबर 2021 से दो दिनों तक लगातार हुई मूसलधार बारिश में बालासन ब्रिज का एक पिलर क्षतिग्रस्त हो कर थोड़ा धंस गया था। तब, लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर उस ब्रिज से वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई। वहां विकल्प के रूप में ह्योम ब्रिज बनाया गया। उसके द्वारा नियंत्रित व सीमित रूप में छोटे-मोटे वाहनों की आवाजाही होने लगी। मगर, वह ह्योम ब्रिज भी इधर बीते जून महीने में मूसलधार बारिश में बह गया। तब से अब तक क्षतिग्रस्त बालासन ब्रिज पर बने अस्थाई बेली ब्रिज द्वारा ही नियंत्रित रूप में वाहनों की आवाजाही हो रही थी। वहीं, साथ ही साथ क्षतिग्रस्त पिलर के दाएं एवं बाएं दोनों ओर नए सपोर्ट पिलर का निर्माण भी जारी था। उन सपोर्ट पिलर को अंतिम रूप देने व बेली ब्रिज को खोल कर हटाने हेतु गत 19 अगस्त से बालासन ब्रिज पूरी तरह बंद था, जो सोमवार 22 अगस्त से खुल गया। अब बालासन ब्रिज से पूर्व की ही भांति वाहनों की आवाजाही स्वाभाविक हो जाएगी। पर 15 टन से अधिक वजनी वाहनों की आवाजाही पर अभी भी रोक रहेगी।
उल्लेखनीय है कि बालासन ब्रिज के क्षतिग्रस्त रहने के चलते गत 10 महीने से अधिक समय से सिक्किम व भूटान और दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र एवं सिलीगुड़ी समेत पूरे पूर्वोत्तर भारत से वाहनों की शेष भारत आवाजाही में माटीगाड़ा बालासन ब्रिज हो कर जाने-आने के बजाय नौका घाट, मेडिकल के रास्ते जाना-आना पड़ रहा था। इसके साथ ही बिहार व अन्य राज्यों को जाने-आने वाली बसों को भी इसी बदले हुए मार्ग से जाना पड़ रहा था। इसमें लगभग अतिरिक्त 15 किलोमीटर लंबी यात्रा हो जा रही थी। वहीं, इसके चलते ईस्टर्न बाइपास, हिलकार्ट रोड, बर्दवान रोड, नौका घाट, कावाखाली एशियन हाईवे-2 पर अतिरिक्त भार भी बढ़ गया था। प्रत्येक दिन भीषण जाम की समस्या से भी लोगों को दो-चार होना पड़ रहा था। अब क्षतिग्रस्त पिलर के सपोर्ट पिलर बन जाने के बाद एनएच-31 पर अवरुद्ध यातायात बहुत हद तक स्वाभाविक हो गया।
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