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बिहार में जातीय जनगणना के क्या हैं मायने, क्या आरक्षण से इसका लेना-देना।

सारस न्यूज टीम, बिहार।

केंद्र सरकार इस बार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है। लेकिन बिहार में नीतीश सरकार ने यह फैसला लिया है कि प्रदेश में जाति आधारित जनगणना करायी जाएगी। बुधवार को पटना में हुई सर्वदलीय बैठक में इससे जुड़ा फैसला लिया गया। सर्वसम्मति से लिये गये इस फैसले के बाद अब राजद ने यह दावा किया है कि यह तेजस्वी यादव व राजद की जीत है। वहीं तेजस्वी यादव ने भी इस जनगणना के मायने बताये हैं।

बुधवार को सर्वदलीय बैठक हुई

बिहार में जाति आधारित जनगणना को लेकर सूबे की सियासत लंबे समय से गरम है। राजद लगातार इस मुद्दे को अपना हथियार बनाए हुए है। हाल में ही तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मुद्दे को लेकर मुलाकात भी की थी। वहीं सरकार का रूख भी स्पष्ट था और बिहार में जातीय जनगणना कराने की बात शुरू से ही मुख्यमंत्री करते रहे। वहीं बुधवार को सर्वदलीय बैठक में सबने जब यह तय किया कि बिहार में जातीय जनगणना करायी जाएगी तो तेजस्वी यादव ने कुछ प्वाइंट सामने रखे।

तेजस्वी की नजर में जातीय जनगणना के मायने

तेजस्वी यादव ने कहा कि इसमें समय लगेगा और इसे शुरू करने के लिए नवंबर महीने को उन्होंने अनुकूल बताया। तेजस्वी ने कहा कि इस गणना से सबको लाभ होगा। गरीब सभी जाति में हैं। और इस गणना से पता चलेगा कि अधिक गरीबी किस जाति में है। कौन भीख मांग रहा है। और सफाई कौन कर रहा है। राज्य के बाहर जाकर नौकरी करने वाले कौन हैं। बताया कि सरकार को आंकड़े मिलने के बाद विकास नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।

आरक्षण को लेकर बोले तेजस्वी

तेजस्वी यादव ने कहा कि यह आरक्षण से जुड़ा मामला नहीं है। इसका लक्ष्य केवल इतना है कि अंतिम पायदान पर बैठे लोग समाज के मुख्यधारा से जुड़ें सरकार उनके लिए विशेष योजनाएं बनाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह ऐसा मामला है कि कोई भी इसके खिलाफ जाकर कुछ बोल ही नहीं सकता।

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