शशि रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
साइबर सेनानी ग्रुप बना राजनीतिक और जाति आधारित मंच इकाई। साइबर क्राइम पर कंट्रोल के लिए बनी थी साइबर सेनानी ग्रुप अधिकारियों की मौजूदगी में उड़ रही है धज्जियां। बिहार पुलिस ने सोशल मीडिया सहित अन्य साइबर अपराध पर नियंत्रण के लिए बिहार पुलिस जनता को जागरूक करने के लिए व्हाट्सएप साइबर सेनानी ग्रुप के गठन का निर्णय लिया था। जिससे साइबर क्राइम अपराध पर नियंत्रण हो सके और लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो सके साइबर क्राइम अपराध पर लगाम लग सकें। बिहार के पूर्व डीजीपी के एस द्विवेदी ने अपने कार्यकाल में बिहार पुलिस जनता को व्हाट्सएप साइबर सेनानी ग्रुप का गठन करने का मुख्य उद्देश्य था, आम लोगों की सहभागिता से साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना साइबर क्राइम को रोकना तथा लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से साइबर सेनानी ग्रुप बनाई गई थी। मगर बड़े आश्चर्य की बात है, कि पूर्व पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी के हटते ही साइबर सेनानी ग्रुप अपनी राह से भटक रहे हैं। पुलिस महानिदेशक के आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर कानून व्यवस्था की अनेक समस्याएं की झूठी खबरों अथवा अफवाहों के वायरल होने के कारण उत्पन्न हो रही है। जिन पर नियंत्रण अनिवार्य है। सोशल मीडिया से अविश्वसनीय संदेशों का प्रचार-प्रसार रोकने एवं सही तथा विश्वसनीय जानकारी आम जनता तक पहुंचाने के लिए राज्य में बिहार पुलिस के द्वारा जनता व्हाट्सएप ग्रुप साइबर सेनानी समूह बनाने का निर्णय लिया गया था। इस समूह में जागरुक एवं जिम्मेवार नागरिक सदस्य होंगे तथा ये सोशल मीडिया के माध्यम से नकारात्मक एवं भ्रामक संदेशों का खंडन करेंगे, वहीं पुलिस मुख्यालय का आदेश था कि साइबर सेनानी ग्रुप में जुड़ने के लिए स्थानीय थाना, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अथवा वरीय पुलिस अधीक्षक अथवा पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में आवेदन देना होगा, जिसमें उन्हें अपने बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी तथा स्पष्ट करना होगा कि वे किस ग्रुप का सदस्य बनना चाहते हैं। जबकि ऐसा अब तक नही हुआ है। बिना कोई वेरिफिकेशन और बिना कोई आईडी को साइबर ग्रुप में जोड़ अधिकारियों की उपस्थिति में लोग जाति धर्म राजनीति से संबंधित मैसेज भेज कर साइबर सैनानी ग्रुप एवं पुलिस मुख्यालय के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं।