विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया, किशनगंज।
सीमावर्ती क्षेत्र गलगलिया में आज शुक्रवार को रंगो का पर्व होली धूमधाम के साथ मनाया गया। रंग अबीर उड़ाते हुए ख़ुशी का इज़हार कर लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर बधाइयां दी। वहीं लोगों ने होली के गीत और ढोल, झाल और करताल की धुनों पर थिरकते दिखे। इधर लोग शांतिपूर्ण ढंग से होली का पर्व मना सके इसके लिए गलगलिया पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। गलगलिया थानाध्यक्ष नीरज कुमार निराला के द्वारा कई जगहों पर पुलिस बल की तैनाती कर उपद्रवी तत्वों से निपटने के लिए वे खुद क्षेत्र में गश्त कर रहे थे।थाना क्षेत्र के कहीं से किसी भी तरह के अप्रिय घटना की कोई सुचना नहीं मिली। गलगलिया के विभिन्न मोहल्ला में बच्चे, किशोर, युवक,व्यस्क और वृद्ध लोगों ने जमकर होली खेली।होली खेलने की शुरुआत गुरुवार को होलिका दहन की राख से शुरु हुआ। सभी उम्र के लोगों ने सुबह सात बजे से ही रंग-गुलाल लेकर सड़क पर निकल पड़े। इस क्रम में लोगों ने नम्रता पूर्वक एक दूसरे को रंग- गुलाल लगाए। इस होली में लोगों ने रसायन मिले रंग से दूर रह कर हर्बल रंग का विशेष रुप से प्रयोग किया, जिससे कि होली बिलकुल स्वच्छ और हर्षोल्लास पूर्वक मनी। रंग-गुलाल का खेल दोपहर दो बजे तक चलता रहा। इसके उपरांत संध्या बेला लोगों ने एक दूसरे के घर जाकर गुलाल की होली खेली। जिसमें बच्चों ने बड़ों के चरणों पर गुलाल डाल कर आर्शीवाद लिया। वहीं बड़े-बुजुर्ग ने गुलाल का टीका लगा कर होली की शुभकामनाएं दी।
होली में रही सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। इसके लिए सभी चौक-चौराहों पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। आज जुम्मा की नमाज भी थी जिस कारण सड़क पर आने-जाने लोगों सहित होली खेलने वालों पर विशेष नजर रखी गई थी। गश्ती दल द्वारा क्षेत्र के कोने-कोने में गश्त लगाए गए थे। जिससे कि किसी भी प्रकार की अनहोनी से निपटा जा सके।
रंगों का बाजार रहा गर्म
होली पर रंग के दुकान में काफी भीड़ देखी गई। इस वर्ष रंग के कीमतों मे विशेष वृद्धि नही हुई।और लाल, पीले गुलाब व हरे रंग के गुलाल की कीमत दो सौ रुपए किलो तक रही। बाजार में चाईनीज पिचकारी की धूम रही।
होली में शराबबंदी कानून का किया सम्मान
शराबबंदी के बाद इस बार की तीसरी होली में भी लोगों ने शराबबंदी कानून का पालन किया और शराब के नशे से दूर रहकर होली पर्व मनाई। पर कुछ शराब के शौक़ीन लोग बंगाल व नेपाल में शरण लेते देखे गए।
