टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चिल्हनियॉ के वार्ड नंबर 1 बातरटोला खर्रा के गोरिया नदी में आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी पुल निर्माण नही होने से लोगों को आवागमन में होती है परेशानी। स्थानीय सरपंच कैलाश बसाक ने बताया कि हम लोग सांसद एवं विधायक व जिला पदाधिकारी को वर्षों से आवेदन देते आ रहे हैं, लेकिन समस्या का आज तक निदान नहीं हो पाया है। आज भी समस्या जस की तस बनी हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है लोग पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर है। लोगों ने बताया कि गोरिया नदी में पुल नहीं रहने से खासकर बरसात के दिनों में स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में काफी कठिनाई होती है और बच्चे के अभिभावक में हमेशा डर बना हुआ रहता है कि कोई अनहोनी ना हो जाए इसलिए बरसात के दिनों में अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजते हैं। बारिश के दिनों में किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों में लोग केला पे पौधे के भूरा के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं। आम सुखारी के दिनों में लोग बांस बल्ली के चचरी पुल बनाकर आवागमन करते हैं। जबकि इस गोरिया नदी होकर पांचगाछी, फ़ाराबारी, झुनकी, खर्रा, कुचहा, टेकनी सहित दर्जनों गांव के लोगों का आवागमन हुआ करता है फिर भी प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि बेखबर है। स्थानीय लोगों ने जिला पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पुल एवं सड़क निर्माण की मांग की है।
सारस न्यूज, ठाकुरगंज।
टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चिल्हनियॉ के वार्ड नंबर 1 बातरटोला खर्रा के गोरिया नदी में आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी पुल निर्माण नही होने से लोगों को आवागमन में होती है परेशानी। स्थानीय सरपंच कैलाश बसाक ने बताया कि हम लोग सांसद एवं विधायक व जिला पदाधिकारी को वर्षों से आवेदन देते आ रहे हैं, लेकिन समस्या का आज तक निदान नहीं हो पाया है। आज भी समस्या जस की तस बनी हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में जाने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है लोग पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर है। लोगों ने बताया कि गोरिया नदी में पुल नहीं रहने से खासकर बरसात के दिनों में स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में काफी कठिनाई होती है और बच्चे के अभिभावक में हमेशा डर बना हुआ रहता है कि कोई अनहोनी ना हो जाए इसलिए बरसात के दिनों में अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजते हैं। बारिश के दिनों में किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों में लोग केला पे पौधे के भूरा के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं। आम सुखारी के दिनों में लोग बांस बल्ली के चचरी पुल बनाकर आवागमन करते हैं। जबकि इस गोरिया नदी होकर पांचगाछी, फ़ाराबारी, झुनकी, खर्रा, कुचहा, टेकनी सहित दर्जनों गांव के लोगों का आवागमन हुआ करता है फिर भी प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि बेखबर है। स्थानीय लोगों ने जिला पदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पुल एवं सड़क निर्माण की मांग की है।
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