बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
यूनाइटेड फाेरम आफ बैंक यूनियन के आह्वान पर गुरुवार से बैंक कर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल शुरू हुई। इसके चलते प्रखंड के सभी बैंकों का काम-काज बुरी तरह प्रभावित हुआ। बैंकों की हड़ताल से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा और यही स्थिति शुक्रवार को भी रहेगी। गुरुवार को हड़ताल के पहले दिन बैंकों के बंद रहने से प्रखंड ठाकुरगंज में लाखों रुपये का व्यवसाय प्रभावित हुआ। नतीजतन, हड़ताल के कारण शाखाओं में जमा और निकासी, चेक निकासी और ऋण मंजूरी जैसी सेवाएं ठप रहीं। हालांकि इस बीच एटीएम के सामान्य रूप से लेन-देन जारी रहा।
प्रखंड में संचालित यूबीजीबी के ठाकुरगंज, पौआखाली व गलगलिया शाखाएं, एसबीआई के ठाकुरगंज, जिलेबियामोड़, गलगलिया, चुरलीहाट एवं कादोगांव शाखाएं तथा नगर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा कुल नौ राष्ट्रीयकृत बैंक शाखाओं की बैंक कर्मियों ने हड़ताल के पहले दिन सभी बैंक शाखाओं के पास पहुंच ताला जड़ कर केंद्र सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन करते हुए एसबीआई ठाकुरगंज के शाखा प्रबंधक अंबिका प्रसाद ने बताया कि सरकार की जनविरोधी बैंकिंग, आर्थिक नीतियों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण तथा उनमें विनिवेश के फैसलों के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है जो शुक्रवार तक जारी रहेगी।
एसबीआई चुरलीहाट के शाखा प्रबंधक राजीव प्रकाश ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से हर किसी का अहित है। सरकार के इस फैसले से किसान, लघु बचतकर्ता, पेंशनधारकों, छोटे व मध्यम वर्गीय उद्यमियों, व्यापारियों एवं विद्यार्थियों, महिलाओं, पिछड़े वर्ग के लोगों, बेरोजगार लगभग देश की 95 प्रतिशत जनता का अहित होगा। लोगों की रक्षा के लिए भी बैंक कर्मियों ने यह कदम उठाया है।
एसबीआई गलगलिया शाखा के बैंक मैनेजर सनी मुर्मू ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से ग्रामीण शाखाओं का बंद होना, बैंकों का अधिक शहरी उन्मुखीकरण, कृषि ऋणों में कमी, सीमांत और छोटे कृषक की कृषि कार्य से बेदखली, शिक्षा ऋण एवं मध्यम व्यापारी को ऋण लेने में कठिनाई, कारपोरेट घराना के लोगों को सस्ता एवं अधिक ऋण, जनता के बचत पूंजी पर कारपोरेट घरानों का कब्जा और उसकी मुनाफे में मनमानी छूट को प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं हड़ताल में शामिल कादोगांव ब्रांच के मैनेजर नंद चौधरी, विधि भूषण कुमार, विनय कुमार, आशीष शर्मा, प्रकाश कुमार, ललन कुमार गुप्ता, प्रीतम कुमार, मो सफीक, प्रमोद शर्मा, आलोक कुमार आदि सहित सभी बैंक कर्मियों ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि निजीकरण का बिल तत्काल वापस नहीं लिया गया तो बैंक कर्मी बाध्य होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए विवश होंगे। इसके बाद देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ सकता है। केंद्र सरकार निजीकरण का बिल तत्काल वापस ले ले।