बीरबल महतो, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
ठाकुरगंज व पोठिया प्रखंड की सीमा पर बहने वाली महानन्दा नदी पर नए पुल निर्माण कार्य कराए जाने के संबंध में पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल के दिए आवेदन पत्र पर पथ निर्माण विभाग ने संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।इस बावत पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख (मुख्यालय), बिहार, पटना ने ज्ञापांक:- प्र0 प्र0-10 / विविध – 03-24 /2020-3735(ई), पटना, दिनांक:- 22/06/2021 के माध्यम से मुख्य अभियंता, सीमांचल उपभाग, पथ निर्माण विभाग, बिहार, पटना को निर्देशित करते हुए महानन्दा नदी पर नए पुल निर्माण के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही है।
बताते चलें कि पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल ने पथ निर्माण विभाग के मंत्री को अपने पत्रांक 06/21, दिनांक- 13/03/21 के माध्यम से महानन्दा नदी पर नए पुल निर्माण कराए जाने की क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित मांग को रखा था जिस पर विभागीय कार्रवाई शुरू किए जाने से लोगों में आस जगी है कि अब पुल का निर्माण कार्य जल्द प्रारम्भ होगा।
ज्ञात हो कि किशनगंज – तैयबपुर – ठाकुरगंज – गलगलिया (केटीटीजी) सड़क मार्ग पर खरना गांव के समीप बहनेवाली महानंदा नदी पर बना ब्रिटिश जमाने का पुल दम तोड़ने लगा है। 108 साल पुराना पुल होने के कारण यह काफी जर्जर हो चुका है। ठाकुरगंज प्रखंड को जिला मुख्यालय किशनगंज से यह पुल जोड़ती है। एक शताब्दी से भी अधिक समय बीतने के बाद भी इसके मरम्मति का प्रयास नहीं किया जा रहा है। लोहे के इस पुल पर जगह-जगह जंग लग गया है। पुल के कई हिस्सें क्षतिग्रस्त हो गए है।खासकर भारी वाहन गुजरने के दौरान पुल हिलने लगता है। यूं कहे कि लोग जान हथेली पर लेकर इससे होकर आवाजाही करते हैं। इस मार्ग में ट्रैफिक बढ़ने व पुल एक लेन होने के कारण प्रायः भारी जाम की समस्या से राहगीरों को रुबरु होना पड़ता है। किसी किसी दिन तो 3-4 घंटे जाम में लोगों को फंसे रहना पड़ता हैं। हालांकि इस नदी पर नए पुल निर्माण के लिए करीब तीन वर्ष पूर्व मिट्टी जांच कराए गए थे। जिससे आमजनों को उम्मीद बढ़ी थी कि अब पुल का निर्माण कार्य अतिशीघ्र शुरू होगा। लेकिन अब तक यह विभागीय पेंच में फंसा हुआ है। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अधिकारी की मानें तो मिट्टी जांच के बाद इसका डीपीआर तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए विभाग को भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही पुल निर्माण की दिशा में कदम बढ़ सकेगा।
वर्ष 1913 में हुआ था निर्माण:-
महानन्दा नदी पर बने पुल पर अंकित सूचना के मुताबिक इस पुल का निर्माण वर्ष 1913 में ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ण एन्ड कंपनी लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) की कंपनी ने कराया था। जानकारी अनुसार पहले इस पुल का निर्माण दार्जिलिंग – हिमालयन रेलमार्ग के तहत नैरो गेज की रेलगाड़ियां चलाने के लिए किया गया था। इसके बाद असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत जब नैरो गेज को मीटर गेज के रुप में अमान परिवर्तन किया गया तब इस स्थान से 50 मीटर उत्तर महानंदा नदी पर मीटर गेज के लिए वर्ष 1949 में पुल का निर्माण कराया गया। जिसमें वर्तमान में ब्रॉड गेज की ट्रेन चल रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार दार्जिलिंग-हिमालयन रेल मार्ग के तहत नेरो गेज में रेलगाड़ियां सन 1881 ई. से सिलीगुड़ी तक चल रही थी। वर्ष 1915 ई. में इसमें बढ़ोत्तरी कर ठाकुरगंज होते हुए किशनगंज तक किया गया था। जब 1949 ई. में असम रेलवे लिंक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत मीटर गेज के लिए ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हुआ तब नेरो गेज वाले महानंदा नदी पर बने पुल को आम जनता के आवागमन के लिए सड़क मार्ग से वर्ष 1950 ई0 को जोड़ दिया गया। जो आज पथ निर्माण विभाग, किशनगंज के तहत केटीटीजी रोड से जुड़ा हुआ है।
वहीं इस संबंध में पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल ने कहा कि महानन्दा नदी पर नए पुल निर्माण कार्य को लेकर प्रशासनिक कवायद तेज हो गई हैं।इसके अलावे भी ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा दिलाए जाने तथा पावर ग्रिड की स्थापना में हो रहे विलंबता पर भी विभागीय स्तर पर बातचीत चल रही हैं।इस समस्याओं का भी निष्पादन बहुत जल्द होने की संभावना है।