राजीव कुमार, वेब डेस्क, सारस न्यूज़।
सूची का आदान-प्रदान कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के बीच हुआ।
पाकिस्तान और भारत ने शनिवार को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया, जिन पर हमला नहीं किया जा सकता है। एक वार्षिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में दोनों पड़ोसियों के बीच तीन दशकों से अधिक समय से ऐसा होता आ रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का भी आदान-प्रदान किया, जिसमें नागरिक, रक्षा कर्मी और मछुआरे शामिल हैं।
परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमलों के निषेध पर समझौते के अनुच्छेद- II के प्रावधानों के अनुसार किया गया था, जिस पर 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षर किए गए थे और 27 जनवरी 1991 को इसकी पुष्टि की गई थी। इस समझौते के तहत दोनों देशों को एक दूसरे को परमाणु सुविधाओं की जानकारी देनी होगी। सूचियों के आदान-प्रदान की यह प्रथा 1 जनवरी 1992 से जारी है।
पाकिस्तान में परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची आधिकारिक तौर पर शनिवार को 1030 बजे पीएसटी पर विदेश मंत्रालय में भारतीय उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को सौंपी गई। इसी तरह, नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची पाकिस्तान उच्चायोग के एक प्रतिनिधि को 1100 बजे IST पर सौंप दी।
इसी तरह के आदान-प्रदान में, पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के साथ पाकिस्तान में 628 भारतीय कैदियों की एक सूची साझा की, जिसमें 51 नागरिक और 577 मछुआरे शामिल थे। भारत सरकार ने एक साथ 282 नागरिकों और 73 मछुआरों सहित भारत में 355 पाकिस्तानी कैदियों की सूची नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग के साथ साझा की।