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सरकारी स्कूल के 1 करोड़ बच्चों के पास नहीं है किताबे। बीना किताब के जा रहे स्कूल।

सारस न्यूज टीम, बिहार।

बिहार के सरकारी स्कूल के 1 करोड़ 10 लाख बच्चों के पास किताबें नहीं है। 71 हजार प्राइमरी स्कूलों के क्लास पहली से आठवीं तक के 1.67 करोड़ बच्चों में 1.10 करोड़ से ज्यादा बच्चे बिना किताब ही स्कूल जा रहे। इसके दो बड़े कारण हैं। पहला कि बच्चों को किताब खरीदने के लिए राशि नहीं भेजी जा सकी है। दूसरा-सभी जगह किताब मिलती भी नहीं है। सत्र 2022-23 के लिए तो पब्लिशर को 18 अप्रैल को किताब छापने का ऑर्डर ही दिया गया है।

सरकारी स्कूलों में अधिकांश गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चे ही पढ़ते हैं। सत्र 2018-19 से बच्चों को किताब खरीदने के लिए राशि खाते में दी जा रही है। किताब खरीदने के लिए राशि कभी भी समय पर बच्चों के खाते में नहीं भेजी जाती है। पिछले तीन सत्रों की बात करें तो अप्रैल से सत्र शुरू होता है, लेकिन राशि बच्चों के खाते में कभी अक्टूबर तो कभी दिसंबर और जनवरी में राशि भेजी जाती है। यह स्थिति सिस्टम की पोल खोल कर रख देता है।

शिक्षा का अधिकार कानून (आईटीई) के तहत कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को किताब खरीदने के लिए राशि दी जाती है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत किताबों के लिए केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत राशि देती है। इस साल बच्चों को किताब के लिए 520 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। डीबीटी के माध्यम से बच्चों के बैंक खाता में राशि भेजने राशि उपलब्ध है।

पिछले दो सत्र 2020-21 और 2021-22 में कोरोना के कारण स्कूल बंद रहने से 20 प्रतिशत बच्चों ने ही किताबें खरीदी। जिलों और प्रखंडों में किताब उपलब्ध कराना प्रकाशकों की जिम्मेदारी है। प्रकाशकों के अनुसार, जिलों की दुकानों में तो किताब उपलब्ध है, लेकिन प्रखंडों और संकुल स्तर पर नहीं है।

इधर विभागीय अधिकारी के अनुसार बच्चों के खाते में राशि जाने के बाद कैंप लगाकर बच्चों को किताब खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। एक प्रकाशक अमित कुमार राय के अनुसार इस साल उम्मीद है कि किताब की बिक्री होगी।

कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को 250 और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 400 रुपए की दर से किताब खरीदने के लिए राशि दी जाती है। बिहार टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन (बीटीबीसी) ने किताब छपाई के लिए 56 निजी पुस्तक प्रकाशकों को जिम्मेदारी दी है। इसके पहले स्कूल खुले होने की स्थिति में कक्षा कक्षा 3 से 8 तक के बच्चों से पास होने पर किताब लेकर कक्षा में तुरंत आने वाले बच्चों को दे दी जाती थी। इस माध्यम से लगभग 30 प्रतिशत बच्चों के पास किताब मिल जाती थी। लेकिन पिछले दो साल से पुराने किताब से बच्चे वंचित ही रहे।

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