किशनगंज जिले के रास्ते सुपाड़ी की तस्करी का भंडाफोड़ हुआ है। ठाकुरगंज पुलिस ने एनएच 327 ई पर सुपाड़ी लदी एक ट्रक जप्त की है। ठाकुरगंज पुलिस ने जब्त सुपाड़ी को कस्टम को सौंप दिया है, जिसके बाद फारबिसगंज कस्टम की टीम मामले की जांच में लग गई है। सुत्रों के मुताबिक इन दिनों बड़ी मात्रा में विदेशी सुपाड़ी बिहार के जरिये देश के अन्य हिस्सों में भेजी जा जा रही है। लॉकडाउन के दौरान भी तस्करों के द्वारा लगातार जारी तस्करी आश्चर्य का विषय बनता जा रहा है। घटना के बाबत बताया जा रहा है की ठाकुरगंज पुलिस ने एन एच 327 ई पर घर्मकांटा के समीप लावारिस अवस्था में खड़े एक ट्रक की जब जांच की तो उस में सुपाड़ी लदा मिला। सुपारी लदे ट्रक को ठाकुरगंज थाने में लाने के बाद जांच हेतू फारबिसगंज कस्टम मुख्यालय से पांच सदस्यीय टीम ठाकुरगंज पहुची थी। ऐसी आशंका जताई जा रही है की उक्त सुपारी इंडोनेशिया से भारत लाई गई थी|
इंडोनेशिया में फेंकी गई सुपारी पहुंच रही भारत: जानकारों के अनुसार यह सुपाड़ी इंडोनेशिया से लाई गई हो सकती है। इंडोनेशिया से अवैध तरीके से आने वाली सुपारी म्यांमार देश के यांगून पोर्ट से कुछ खुफिया रास्तों से होते हुए गुवाहाटी पहुंचती है। उसके बाद अन्य मार्गों से यह माल देश के विभिन्न इलाको में फैले सुपारी माफियाओं के गोदामों तक पहुंचाया जाता है। कुछ सुपारी नेपाल के गुप्त रास्ते से भारत में आती है।
ऊंचे दामों पर बिक रही विदेशी सुपारी: सूत्रों के अनुसार, इंडोनेशिया में सुपारी की कीमत काफी कम है। खराब सुपारी को वहां फेंक दिया जाता है। विदेशी सुपारी इंडोनेशिया से म्यांमार के यांगून पोर्ट से होते हुुए मोरे-चंपाई व टियाहू नामक अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारत में आने की जानकारी सूत्रों ने दी है। सूत्र बताते हैं कि मोरे से इंफाल, दीमापुर (भारतीय सीमा अंतर्गत) में चंपाई व टियाहू बार्डर से मिजोरम (भारतीय सीमा) के कुछ गुप्त रास्तों, जिसमें एक विशेष नाला भी शामिल है, के जरिए इन सीमाओं के पास भारत में छोटे मालवाहक वाहनों में भेज दी जाती है। टियाहू (मिजोरम) से यह विदेशी सुपारी हैलाकांडी यानी की हाइलाकांढि (सिंलचर), करीमगंज, लालाबाजार में तक पहुंचती है। यहां पर गुप्त स्थानों पर 90 किलो की बोरी को 50 किलो की बनाई जाती है और फिर असम की सुपारी बताकर देश के सामान्य मंडी में यह पहुंचा दी जाती है।
फर्जी बिल्टी बनाने की चर्चा: सूत्रों की मानें तो सुपारी उत्पादक किसानों से इसे खरीदने की जानकारी मंडियों में दी जाती है। नियम के अनुसार टैक्स भर दिया जाता है, जो काफी कम होता है। ट्रांसपोर्टर भी बोगस फर्म बनाकर नियम के अनुसार लगने वाले दस्तावेज तैयार करवा लेते हैं। सुपारी के इस अवैध कारोबार में धर्मकांटा वालों की भूमिका भी संदिग्ध है। असम , बंगाल से होते हुए यह सुपाड़ी बोगस फर्म में पहुंच जाती है। सूत्र बताते हैं कि इंडोनेशिया से विदेशी सुपारी को भारत में लाने पर 108 प्रतिशत कर लगता है। स्मलिंग के जरिए इतना टैक्स देने की जरुरत नहीं पडती है।
गुटका बनाने में होता है इस्तेमाल: विदेशी सुपारी का इस्तेमाल गुटखा बनाने में होता। इस तरह की सुपारी को गुटखा बनाने वाली कंपनी खरीदती है। इसकी कीमत देशी सुपारी से काफी कम होती है। पान खाने में इस सुपारी का इस्तेमाल अमूमन नहीं किया जाता है। इसकी क्वालिटी भी देशी सुपारी से कमतर है। विदेशी सुपारी का उत्पादन समुद्र के किनारे होता है।
बीरबल महतो,ठाकुरगंज डॉट कॉम