शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सभी डीएम और एसपी के साथ वीसी के माध्यम से राज्य में मद्य निषेध नीति के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु मैराथन समीक्षा बैठक आहूत की गई। इस बैठक में सभी मंत्री, विभागीय अधिकारियों समेत सभी डीएम और एसपी ने भाग लिया। जिलाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश और पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष समाहरणालय स्थित डीएम के कार्यालय प्रकोष्ठ में वीसी के माध्यम से बैठक में भाग लिए। शराबबंदी के निमित बैठक देर संध्या तक जारी रही, बैठक में कई आवश्यक निर्देश प्राप्त हुए। मुख्यमंत्री ने मद्य निषेध नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु लगातार छापामारी, शराब जब्ती, अधिहरण, नीलामी के संबंध में जिलावार गहन समीक्षा किया। पिछले दिनों जहरीली शराब कांड के आलोक में व्यापक रूप से जन जागरुकता कार्यकम चलाने, विशेषकर महिलाओं में शराब के प्रति जागरूकता लाकर समाज में शराब के सेवन, बिक्री, परिवहन के प्रति अभियान चलाने, जब्त शराब विनष्ट करने, शराब परिवहन या शराब से संबंध मामलो में जब्त सामग्री की नीलामी आदि पर यथा आवश्यक निर्देश दिए गए। पदाधिकारियों की जवाबदेही का आकलन, गंभीरतापूर्वक कार्य और कर्तव्यनिष्ठा पर भी समीक्षा की गई। किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर कठोर कार्रवाई का निर्देश प्राप्त हुआ।
बैठक में कहा गया कि मद्य निषेध नीति के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु विस्तृत कार्य योजना बनाकर नियमित रूप से अनुश्रवण किया जाय। सभी डीएम को राज्य में लागू शराब बंदी के सफल कार्यान्वयन हेतु अन्य महत्वपूर्ण आवश्यक निर्देश दिए गए। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने बिहार में 1 अप्रैल 2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी के बारे में जानकारी देते हुए बिहार में नई मद्य निषेध नीति के क्रियान्वयन पर जोर देने का निर्देश देते हुए कहा कि शुरुआती वर्षों में देशी एवं विदेशी शराब की बरामदगी कम होती थी, जो कि अभी बढ़ रही है। देसी शराब भट्ठियों के भी अवैध रूप से संचालित होने की सूचना प्राप्त हो रही है। इस पर पूरी कड़ाई से अंकुश लगाने की जरूरत है। शराबबंदी के पक्ष में सब ने शपथ भी लिया था और 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला का भी निर्माण किया गया था, जिसमें 4 करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए थे। शराबबंदी को बाद में नशाबंदी के रूप में परिवर्तित किया गया और इसकी निरंतर समीक्षा होती रही है। इसको लेकर मद्य निषेध पुलिस एवं गृह विभाग से भी बातचीत कर नियमित समीक्षा की जाती है। शराब पीने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है लेकिन हाल में नकली शराब की आपूर्ति की घटनाओं में वृद्धि हुई है और कुछ लोगों की मृत्यु नकली शराब पीने से हुई है। नशाबंदी को लेकर निरंतर जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर मुख्यमंत्री ने बल दिया। विशेषकर महिलाओं के बीच अभियान चलाकर शराबबंदी के खिलाफ जागरूकता को पुनःप्रसारित करने की जरूरत है। स्थानीय स्तर पर चौकीदारों की परेड कर शराब की आपूर्ति के संबंध में सूचना प्राप्त की जाए।यदि उनके द्वारा सूचना नहीं दी जाती है और उन क्षेत्रों में शराब पकड़ी जाती है तो उन पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाए। जिन थानेदारों के क्षेत्र में शराब बरामदगी की घटना हो, उन्हें अगले 10 साल तक थानेदार के पद पर नियुक्त नहीं करने के संबंध में पहले से भी निर्देश दिया हुआ है और इसका कड़ाई से पालन किया जाए। शराबबंदी के दौरान कमजोर गरीब गुरबा की ज्यादा गिरफ्तारी हो रही है और बड़े लोग नहीं पकड़े जा रहे हैं। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है और इस खेल में शामिल बड़ी मछलियों को भी पकड़ा जाए। सीमावर्ती जिले के बाद वाले चौथे पांचवें जिले में शराब की खेप पकड़ने का मतलब यह है कि इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आपूर्ति के मार्ग को पहचान कर सघन निगरानी रखने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया। मुख्यमंत्री ने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि बिहार के 200 थानों में किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई की सूचना नहीं है, इसका मतलब या तो वहां सब ठीक है अन्यथा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मद्य निषेध के बारे में जानकारी देने के लिए कॉल सेंटर खोला गया है और लोग वहां भी अवैध शराब के संबंध में जानकारी दे सकते हैं। उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। सभी ट्रांसफार्मर पर कॉल सेंटर का फोन नंबर लिखा गया था। अगर फोन नंबर मिट गया हो तो दोबारा लिखवाया जाए।
मुख्यमंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े विश्व में 20 से 49 आयुवर्ग के लोगों की मौत के मामलों में 13.5% लोग शराब से मरे हैं। इसी प्रकार दुनिया में 5.3% मौतें शराब पीने से होती हैं। आत्महत्या के मामलों के विश्लेषण से यह सामने आया है कि 18% लोग शराब के कारण आत्महत्या करते हैं। उन्होंने सभी सरकारी भवनों विद्यालयों पंचायत भवनों आंगनवाड़ी केंद्रों इत्यादि पर शराब पीने से होने वाले नुकसान को लिखवाने का निर्देश दिया है। समीक्षा बैठक के दौरान पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से शराब बरामदगी के संकेंद्रण, उनकी मात्रा आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और यह तथ्य उभर कर आया कि हाल के वर्षों में पंजाब, हरियाणा के बजाय अरुणाचल प्रदेश और झारखंड में निर्मित शराब की बरामदगी की घटनाएं बढ़ी हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि सभी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को सुनिश्चित कराना होगा कि सभी थाना क्षेत्रों में रेड पड़े और अवैध शराब की आपूर्ति हो रही हो तो इसे रोका जाए। 253 थाने में वर्ष 2019-20 के दौरान एक भी रेड नहीं पड़ा और वर्ष 2020-21 में 196 थाने में एक भी रेड नहीं पड़ा।यह विचारणीय विषय है। समीक्षा के दौरान शराब विनष्टीकरण के आंकड़ों को भी प्रस्तुत किया गया और गिरफ्तार लोगों के संख्या की जानकारी दी गई।मुख्यमंत्री ने शराब आपूर्ति के होम डिलीवरी के तंत्र को तोड़ने का निर्देश दिया और शराब के आपूर्ति श्रृंखला को पहचान कर इसे बंद कराने का निर्देश दिया।
समीक्षा बैठक के दौरान यह बताया गया मद्य निषेध नीति के तहत अधिग्रहित वाहनों को अब सरकारी कार्यालयों में इस्तेमाल के लिए भी रखा जा सकता है।26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर शिक्षा विभाग द्वारा सभी विद्यालयों में स्लोगन प्रतियोगिता,प्रभात फेरी निबंध एवं दीवार लेखन कराएगा।कला जत्था द्वारा नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जाएगा। परिवहन विभाग द्वारा सभी बस डिपो,बसों में मद्य निषेध का स्लोगन लिखा जाएगा। सिनेमा हॉलों में लघु फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा। सभी लोगों द्वारा नशाबंदी के संबंध में शपथ ग्रहण लिया जाएगा।नशाबंदी को प्रसारित प्रसारित करने के लिए पोस्टर और बैनर भी लगाया जाएगा और टीवी और रेडियो पर जिंगल्स सुनाये जाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी मंत्री, मुख्य सचिव बिहार, पुलिस महानिदेशक बिहार, सभी प्रधान सचिव/सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक, जिला पदाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक,उपायुक्त मद्यनिषेध, सहायक आयुक्त मद्यनिषेध, अधीक्षक मद्यनिषेध उपस्थित रहें। किशनगंज के डीएम, एसपी, एसडीएम, एसडीपीओ, उत्पाद अधीक्षक तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
