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गीतांजलि श्री की रेत समाधि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली भारतीय भाषा हिंदी की पहली कृति।

सारस न्यूज टीम, नई दिल्ली।

दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री के हिन्दी उपन्यास रेत समाधि को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ मिला है। रेत समाधि (टॉम्ब ऑफ सैंड) बुकर जीतने वाली हिंदी भाषा की पहली किताब है। साथ ही किसी भी भारतीय भाषा में अवॉर्ड जीतने वाली पहली किताब भी है। यह 50,000 पाउंड के पुरस्कार के लिए चुने जाने वाला पहला हिन्दी भाषा का उपन्यास है। रेत समाधि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में विश्व की 13 पुस्तकों में शामिल था। लंदन में गुरुवार ​को ​​​​​​लेखिका गीतंजलि श्री को अवॉर्ड दिया गया। 

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की मूल निवासी गीतांजलि श्री करीब 30 साल से लेखन के कार्य में लगी हैं। रेत समाधि भारत के विभाजन से जुड़ी पारिवारिक गाथा है। पति की मृत्यु के बाद एक 80 साल की महिला का अनुकरण है। रेत समाधि हिंदी की पहली कृति है जो बुकर प्राइज के लिए पहले चरण से नामित हुई और बुकर प्राइज जीता। यह पहला मौका है, जब हिन्दी ही नहीं, बल्कि समूचे दक्षिण एशिया से किसी किताब को इंटरनेशनल बुकर मिला है। 2016 से पहले तक इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार किसी एक किताब पर नहीं, बल्कि लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड की तरह लेखक के समूचे योगदान पर दिया जाता था। तब भारतीय भाषाओं से 2009 में महाश्वेता देवी और 2013 यू. आर.अनंतमूर्ति को नामांकित किया गया था पर वे इसे जीत नहीं पाए थे।

हिन्दी में लिखने वाली गीतांजलि श्री को यह पुरस्कार मिलने के बाद से अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक परिदृश्य में भारतीय भाषाओं के साहित्य के प्रति एक विशिष्ट उत्सुकता जागेगी, इसकी उम्मीद की जा सकती है। वहीं हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार मिलने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि गीतांजलि श्री को उपन्यास रेत समाधि (टॉम्ब आफ सैंड) बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की यह पहली पुस्तक है जो देश के लिए बेहद गौरव की बात है। भारत की बेटी को यह सम्मान मिलना आधी आबादी को प्रेरणा प्रदान करेगा। इस उपलब्धि पर संपूर्ण देशवासियों को गर्व है।

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