सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज।
बिहार बोर्ड के इतिहास में पहली बार मैट्रिक का रिजल्ट मार्च में जारी किया गया है। इसके पहले हमेशा अप्रैल, मई, जून एवं जुलाई में मैट्रिक का रिजल्ट जारी होता रहा है। फरवरी में मैट्रिक की परीक्षा एवं मार्च में रिजल्ट जारी कर बोर्ड एक नया इतिहास रचा है। पहली बार ऐसा हुआ जब मार्च में रिजल्ट देखकर छात्र गदगद हो गए। पिछले वर्ष भी बोर्ड ने पांच अप्रैल को रिजल्ट जारी किया था। मूल्यांकन के मात्र 27 दिनों के अंदर ही बोर्ड ने मैट्रिक का रिजल्ट जारी कर दिया। देश के अधिकांश राज्यों में अभी तक मैट्रिक की परीक्षा भी नहीं हुई है। यहां तक की सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं 26 अप्रैल से शुरू हो रही हैं। बिहार बोर्ड लगातार चौथी बार देश में सबसे पहले परीक्षा लेकर मैट्रिक का रिजल्ट जारी करने वाला राज्य है। इसके लिए कंप्यूटराज्ड फार्मेट का उपयाेग किया गया। बोर्ड ने फोटो युक्त बारकोड एवं लिथोकोड के साथ प्री-प्रींटेंड कापी एवं प्री-प्रींटेड ओएमआर का उपयोग किया गया। बोर्ड ने रिजल्ट तैयार करने के लिए मल्टीपल कंप्यूटराज्ड फार्मेट का उपयोग किया। इससे रिजल्ट के प्रोसेसिंग में काफी तेजी आई। इसके डिजाईन बोर्ड के आइटी टीम ने किया था। मूल्यांकन को गति देने के लिए हर केंद्र पर 6 कंप्यूटर लगाये गए थे। इन केंद्रों पर प्रतिदिन कापी जांच के उपरांत अंकों को अपलोड कर दिया जा रहा था।
96 लाख कापियां व ओएमआर की जांच एक चुनौती:-
वर्ष 2022 की मैट्रिक की परीक्षा में 16 लाख, 11 हजार, 099 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। उनकी 96 लाख कापियों एवं 96 लाख ओएमआर की जांच एक कठिन चुनौती बोर्ड के समक्ष थी। लेकिन बोर्ड ने इसके लिए समुचित तैयारी कर ली थी।
कदाचार पर नकेल के लिए 10 सेट में प्रश्न पत्र।:-
कदाचार पर नकेल कसने के लिए बोर्ड ने इस वर्ष दस सेटों में प्रश्न पत्र तैयार कराया था। इससे कहीं भी प्रश्न पत्र लीक होने की खबर नहीं मिली। राज्य के 1525 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई थी। नकल रोकने के लिए हर केंद्र पर कैमरे लगाए गए थे और परीक्षार्थियों की वीडियोग्राफी कराई जा रही थी। बोर्ड की ओर से इस वर्ष तैयार प्रश्न पत्र में 100 प्रतिशत विकल्प दिए गए थे।